समाजवादी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी पर मंथन : संघर्षशील नेताओं को मिलेगा मौका

संगठन में दिखेगी राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव की भी छाप

लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो)  समाजवादी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी पर मंथन चल रहा है। इस बार फ्रंटल संगठनों का कलेवर बदलेगा। कार्यकारिणी में सदस्यों की संख्या भी बढ़ेगी। पार्टी की नीतियों को लेकर निरंतर संघर्षशील रहने वाले नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। तो फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी में बदलाव की भी तैयारी है। इसे लेकर दो दौर की कसरत हो चुकी हैं। कुछ नए नामों पर विचार किया जा रहा है।
सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भले ही कोई खास बदलाव नहीं किया गया लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी में बदलाव दिखेगा। इसमें राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव की भी छाप नजर आएगी। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कुछ लोगों को भी प्रदेश कार्यकारिणी में जगह मिलनी है। संबंधित नाम पर विचार-विमर्श चल रहा है।
पिछली प्रदेश कार्यकारिणी में प्रमुख महासचिव के अलावा दो महासचिव बनाए गए थे। इस बार पांच महासचिव पर विचार चल रहा है। इसी तरह सचिव पद भी बढ़ सकता है। पार्टी में बसपा से नाता तोड़कर आने वाले नेताओं को समायोजित किया जाएगा।

अंबेडकर वाहिनी में उन दलित नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो दलितों के बीच में प्रभावी तरीके से अपनी बात रख सकें। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का कहना है कि संघर्षशील नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष के अनुमोदन के बाद जल्द ही कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी। इसमें हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोगों की भागीदारी रहेगी। राष्ट्रीय और प्रदेश के फ्रंटल संगठनों में खासतौर से बदलाव दिखेगा। इस बार अलग-अलग संगठन में पश्चिम, पूरब, मध्य और बुंदेलखंड के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। महिला सभा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी वाराणसी की रीबू श्रीवास्तव को दी जा चुकी है। ऐसे में पूर्वांचल से बस्ती, देवरिया या गोरखपुर के नेता को किसी फ्रंटल संगठन की जिम्मेदारी देने पर विचार चल रहा है।
युवजन सभा, छात्रसभा, यूथ ब्रिगेड, लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्षों में कुछ की जिम्मेदारी बदलेगी। कुछ पर पार्टी दोबारा दांव लगाएगी। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अनुभवी और लगातार पार्टी में सक्रिय रहने वाले युवा नेताओं को फ्रंटल संगठनों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। जिससे वे चुनाव के दौरान पुराने व नए नेताओं को जोड़ सकें।

इसमें जातीय जनाधार का भी ध्यान रखा जा रहा है। कानपुर क्षेत्र से ब्राह्मण नेता को अहम जिम्मेदारी मिलेगी तो बुंदेलखंड से पटेल बिरादरी पर दांव लगाया जाएगा। फ्रंटल में एक संगठन की कमान ठाकुर बिरादरी को सौंपी जाएगी ताकि जातीय गणित दुरुस्त रहे। इसी तरह अल्पसंख्यक सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष हाजी इकबाल कादरी को बनाया गया है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष पद पर इस बार बदलाव होना तय है।

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