लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) एक तरफ विकास आज की आवश्यक्ता है, तो पर्यावरण और प्रकृति के प्रति दायित्वों से भी हम मुक्त नहीं हो सकते। मनुष्य ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रकृति का अतिदोहन करके जिन दुष्परिणामों को आमंत्रित किया है, आज हम सब उसके भुक्तभोगी बन रहे हैं। क्लाइमेट चेंज आज दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती है। विगत वर्षों में असमय अतिवृष्टि के रूप में हमने इसके दुष्परिणामों को देखा है। भारत की परंपरा सदैव से पर्यावरण हितैषी रही है। ये धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत पूरी दुनिया को पर्यावरण संरक्षण की नई राह दिखाने का कार्य कर रहा है। उत्तर प्रदेश में लगातार इस दिशा में कार्य हो रहे हैं।
उन्होंने ऐलान किया कि आगामी जुलाई माह में प्रदेशभर में 35 करोड़ पौधरोपण किया जाएगा। 2017 के बाद से अब तक यूपी में 133 करोड़ पौधरोपण का कार्य हुआ है। यही कारण है कि आज प्रदेश की जनता में भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर सकारात्मक भाव पैदा हुआ है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव-2023 का उद्घाटन करते हुए कही।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिवसीय नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव में देशभर से आए प्रतिनिधगणों का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ में वेदों में अथर्ववेद का एक सूक्त हमें धरती के प्रति अगाध निष्ठा के साथ जोड़ने का प्रयास करता है। इसके अनुसार धरती हमारी माता हैं और हम सब इसके पुत्र हैं। संपूर्ण जीव सृष्टि में प्रकृति प्रदत्त मां के प्रति दायित्व का दर्शन होता है। उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज आज एक बड़ी चुनौती है। विगत साल हमने असमय अतिवृष्टि को देखा है। बीते 25 साल के सार्वजनिक जीवन में मैंने कभी नहीं देखा कि अक्टूबर में बाढ़ आई हो। किसान को जब पानी की जरूरत है तो बारिश नहीं होती और फसल काटते वक्त असमय बरसात पूरी मेहनत पर पानी फेर देती है।
सीएम ने कहा कि 2017 में जब हमें सरकार बनाने का अवसर प्राप्त हुआ तब पहले वर्ष हमने 5 करोड़, फिर 10 करोड़ पौधरोपण किया। विगत 6 साल में यूपी में 133 करेड़ पौधरोपण का कार्य किया गया है। आज यूपी में आम नागरिकों में पर्यावरण संरक्षण का भाव पैदा हुआ है। आज हम 100 साल से पुराने वृक्षों को विरासत वृक्ष के रूप में मान्यता देकर उनका संरक्षण कर रहे हैं। प्रदेश में ऐसे कई वृक्ष हैं, जिनके नीचे बैठकर क्रांतिकारियों ने देश की आजादी की रणनीति तय की। उन्होंने गोरखनाथ मंदिर में मौजूद आम के पुराने वृक्ष से संबंधित स्मृतियों का वर्णन करते हुए बताया कि बद्रीनाथ धाम के सिद्ध योगी सुंदरनाथ 1907 में गोरखनाथ मंदिर आए और वहां मौजूद आम के वृक्ष के नीचे तत्कालीन महंत बाबा गंभीरनाथ के साथ संवाद किया। वो वृक्ष आज भी वहां मौजूद है और फल देता है। इसके अलावा 1912 में भारत सेवा श्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद ने भी उसी वृक्ष के नीचे बाबा गंभीरनाथ से दीक्षा ली थी।
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