‘‘दूसरे चरण के चुनाव में सपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती’’
लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो) लोकसभा से पहले यूपी में हो रहे निकाय चुनाव के दूसरे चरण में सपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती होंगे। क्योंकि यह चुनाव सैफई परिवार के गृह जनपद के आलावा यादव बेल्ट में भी होगा। इससे यह भी तय हो जायेगा कि वह अपने इलाके में कितनी मजबूत है।
राजनीतिक जानकारों की माने तो दूसरा चरण सपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस चरण में उनके खास क्षेत्रों में चुनाव है। अखिलेश यादव के सामने अपने गढ़ में खिसके सियासी आधार को दोबारा हासिल कर लोकसभा में मजबूत होने की चुनौती है। हालांकि मैनपुरी के उपचुनाव में परिवार की एकजुटता का फायदा मिला है। शिवपाल को साथ लाने और उन्हे गढ़ बचाने की जिम्मेदारी दी गई है। शिवपाल इटावा में ही डट गए हैं। यहां पार्टी का टिकट न मिलने से कई बागी भी चुनाव लड़ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है कि भाजपा ने इस गढ़ से गैर यादव ओबीसी बिरादरी के वोट अपने पाले में कर लिए थे। जिसका मुलायम के जमाने से सपा का अधिकार रहा है। शाक्य और लोध वोटर एकमुश्त भाजपा के पक्ष में गए थे। लेकिन इस बार सपा ने भी इन वोटों को साधने का खास इंतजाम किया है। सेंधमारी न हो इसलिए अखिलेश ने चाचा शिवपाल को जिम्मेदारी सौंपी है। वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में शिवपाल के अलग रहने के कारण सपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
दूसरे चरण का निकाय चुनाव 38 जिलों की 370 निकायों में हो रहा है। इस चरण में मेरठ, बरेली, कानपुर, आजमगढ़, अलीगढ़, चित्रकूट, अयोध्या, बस्ती व मीरजापुर मंडल के जिलों में 11 मई को मतदान होगा।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि सपा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने को मजबूत करने में लगी है। इसलिए निकाय चुनाव उनके लिए महत्वपूर्ण है। पहले चरण की अपेक्षा में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी इस पर फोकस किया है। इस चरण में अखिलेश काफी सभाएं और रोड शो कर रहे हैं। वह समझ गए हैं उनके यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है। सपा का यह पहला चुनाव है जो सपा संस्थापक मुलायम सिंह के बैगर हो रहा है। चाचा शिवपाल से जो उनका प्यार बढ़ा है। उसका प्रभाव कितना उनके वोट बैंक पर पड़ेगा। यह भी अखिलेश देख रहे हैं। क्योंकि वह जानते है इस चुनाव में अगर उनकी पार्टी प्रदर्शन अच्छा करती है तो 2024 में बन रहे नए फ्रंट में उनकी स्थित मजबूत होगी।
बताते चलें कि सपा सात नगर निगमों में से छह मेयर पद पर चुनाव लड़ रही है। बरेली में उसने निर्दलीय को समर्थन देते हुए अपने उम्मीदवार का पर्चा वापस ले लिया था। इस चरण में 370 नगरीय निकायों में से 276 स्थानों पर सपा के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। सपा ने अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, शिवपाल समेत कई नेताओं को प्रचार में उतारा है। इसके साथ ही पार्टी ने अपने सभी वरिष्ठ नेताओं को पहले ही नगर निगम वाले जिलों का प्रभारी बनाया है। पहले चरण के चुनाव से खाली हुए नेताओं को भी दूसरे चरण में लगा दिया गया है। पार्टी कितना सफल होगी यह तो 13 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद ही साफ होगा।
चुनाव आयोग के अनुसार दूसरे चरण के 38 जिले में मेरठ, हापुड़, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, बरेली, पीलीभीत, हाथरस, कासगंज, एटा, अलीगढ़, कानपुर में चुनाव होने हैं। इसके अलावा फरुर्खाबाद, इटावा, कन्नौज, औरैया, कानपुर देहात, हमीरपुर, चित्रकूट, महोबा, बांदा, अयोध्या, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, अमेठी, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, सोनभद्र, भदोही, मिजार्पुर जिलों में वोट पड़ेंगे।
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