गुटखा-सिगरेट, खैनी का कोरोना से गहरा नाता- डॉ दलवीर सिंह

तम्बाकू से बने उत्पाद छोड़ें, कोरोना से बचें अन्तर्विभागीय बैठक में तम्बाकू नियंत्रण पर हुई चर्चा 

फर्रुखाबाद |(आवाज न्यूज ब्यूरो)  “राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम” के अन्तर्गत मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित हुई,  जिसमें पुलिस विभाग, पंचायती राज, एन सी सी,  आई एम ए, माध्यमिक शिक्षा विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, नेहरु युवा केंद्र, ग्राम पंचायत और लोक परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे | इस दौरान सिगरेट और अन्य तंबाकू  उत्पाद अधिनियम,2003 ( कोटपा) को लेकर सभी को प्रशिक्षित किया गया| तम्बाकू मुक्त जिला बनाने के अभियान को पूर्ण रूप से सफल बनाने में सभी से  सहयोग की अपील की गयी| अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के नोडल डॉ दलवीर सिंहने कहा कि बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोग न केवल अपने जीवन से खिलवाड़ करते हैं बल्कि घर-परिवार की जमा पूँजी को भी इलाज पर फूंक देते हैं। इसके अलावा इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती हैं जिससें संक्रामक बीमारियों की चपेट में भी आने की पूरी सम्भावना रहती हैं।डॉ सिंह ने कहा कि गुटखा और सिगरेट का सेवन करने वालों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है| खैनी, गुटखा खाने वाले लोग कई गैरसंचारी रोगों के भी आसानी से शिकार बन जाते हैं |डॉ सिंह  ने बताया, “तंबाकू का किसी भी रूप में इस्तेमाल करना नुकसानदेह ही है | यह न सिर्फ प्रयोग करने वालों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उनके आस-पास के लोगों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है | उस पर से कोरोना वायरस चूंकि फेफड़ों को प्रभावित करता है  इसलिए सिगरेट, हुक्का या वाटरपाइप सेवन करने वालों के लिए यह और भी गंभीर खतरा हो सकता है |उन्होंने बताया कि तम्बाकू खाने के दौरान इंसान हाथ-मुंह को छूता है | यहभी संक्रमण फैलने का अहम जरिया है| कोरोना हाथ के जरिये मुंह तक पहुंच सकता है या हाथों में मौजूद कोरोना वायरस तम्बाकू में जाकर मुंह तक पहुंच सकता है| तम्बाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है, ऐसे में जब इंसान थूकता है,  तो ये संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है |डॉ. सिंह  ने बताया,  तंबाकू सेवन करने वालों में गैरसंचारी रोग- दिल और फेफड़े की बीमारी, कैंसर और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. कोरोना संक्रमित होने पर ऐसे लोगों की जान जाने के मामले काफी संख्या में सामने आए हैं|तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के जिला समन्वयक सूरज दुवे ने कहा कि स्मोकिंग करने से भी कोविड-19 होने का खतरा ज्यादा है| स्मोकिंग और किसी भी रूप में तम्बाकू लेने पर सीधा असर फेफड़े के काम करने की क्षमता पर पड़ता है| इससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ती हैं| संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़ों पर ही अटैक करता है, इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है| वायरस फेफड़े की कार्यक्षमता को घटा देता है|वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण-2 (गैट्स-2) 2016-17 के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में तम्बाकू का सेवन करने वालों का आंकड़ा हर साल बढ़ ही रहा है। आज से दस साल पहले यानि 2009-10 में प्रदेश में करीब 33.9 फीसद लोग गुटखा व अन्य रूप से तम्बाकू का सेवन कर रहे थे जो कि 2016-17 में बढ़कर 35.5 फीसद पर पहुँच गया है । धूम्रपान करने वालों की तादाद में मामूली गिरावट जरुर देखने को मिली है, दस साल पहले जहाँ 14.9 फीसद आबादी धूम्रपान करती थी, वह सन 2016-17 में 13.5 फीसद पर आ गयी है । खैनी व धुँआ रहित अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वालों की तादाद 2009-10 में 25.3 प्रतिशत थी , वह 2016-17 में बढ़कर 29.4 प्रतिशत पर पहुँच गयी है ।

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