(पिछले दो साल से मैं इस मामले को देख रही हूँ, इस दौरान मेरी कई बार आयोग के चेयरमैन भोपाल सिंह से बात हुई. उनका जवाब कभी भी संतोषजनक नहीं लगा. हर बार गलत सूचना देकर गुमराह किया गया. ये कैसा तर्क कि एक बच्चा जो पैदा भी नहीं हुआ उसके लिए शादी के उम्र के चुके युवाओं की शादी रोकी जा रही है, क्या चेयरमैन साहब आप अपने पद के प्रति जवाबदेह है ?)
साल 2010 में हरियाणा सरकार ने पहली बार राज्य की आई.टी.आई. में अनुदेशकों के पदों के लिए मांगे थे आवेदन, इसके बाद सात बार ये पद री-ऐडवरटाइज़ किये गए. आखिर 2019 में राज्य के लाखों बीटेक युवाओं ने परीक्षा दी. हर केटेगरी के अलग-अलग परीक्षा लगभग एक माह चली. आंदोलन कर परीक्षा परिणाम जारी करवाया. पांच बार डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन पोस्ट पोंड हुआ जो अभी तक है. अब तो आई.टी.आई. इंस्ट्रक्टर के ये आवेदक कोर्ट से भी जीत चुके है कि इनका परिणाम जारी किया जाये. आखिर सरकार भर्ती क्यों नहीं करना चाहती.
क्या ये अंदर खाते भ्रष्टाचार की दस्तक तो नहीं है. पिछले दो साल से मैं इस मामले को देख रही हूँ, इस दौरान मेरी कई बार आयोग के चेयरमैन भोपाल सिंह से बात हुई. उनका जवाब कभी भी संतोषजनक नहीं लगा. हर बार गलत सूचना देकर गुमराह किया गया. पहले कोर्ट का बहाना था आवेदक कोर्ट केस जीते. फिर इन्होने डॉक्यूमेंटशन और स्टाफ के व्यस्त होने कि बात कही. अब कह रहें है 97 कैटेगरी है, आयोग व्यस्त है. क्यों भाई आवेदकों ने सभी कैटेगरी का ठेका ले रखा है क्या ?
हर कैटेगरी का पेपर अलग हुआ, फीस अलग गई, पोस्ट अलग है, किसी का परिणाम कभी आया किसी का कभी और बड़ी बात ये कि इन 97 में से कइयों के डॉक्यूमेंटेशन वेरीफाई हो चुके है और कइयों के एग्जाम भी हुई हुए. ये कैसा तर्क कि एक बच्चा जो पैदा भी नहीं हुआ उसके लिए शादी के उम्र के चुके युवाओं की शादी रोकी जा रही है, क्या चेयरमैन साहब आप अपने पद के प्रति जवाबदेह है ??
अब सवाल ये है कि दस सालों तक सरकार क्यों पैरवी नहीं कर रही ?. क्या सरकार की मंशा ठीक नहीं है. ऐसे तो हरियाणा के किसी भी विभाग में तय समय पर भर्ती नहीं होगी. हरियाणा जैसे प्रगतिशील राज्य में पिछले दस सालों से आईटीआई इंस्ट्रक्टर के पदों का खाली होना आत्मनिर्भर भारत की योजना का शिशुकाल में ही दम तोड़ देना है. आईटीआई इंस्ट्रक्टर जैसे पदों का खाली रहना अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है.
हरियाणा के बीटेक एवं एम् टेक पास हज़ारों युवा आजकल तनाव के दौर में है. सालों पहले हरियाणा सरकार ने एक लम्बे इंतज़ार के बाद इन बेहद प्रतिभाशाली युवाओं के लिए हरियाणा सरकार के स्किल डेवलपमेंट एवं औद्योगिक विभाग के तहत लगभग दो हज़ार आईटीआई इंस्ट्रक्टर पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. युवाओं के अथक प्रयासों के बाद सरकार ने इन पदों के लिए लिखित परीक्षा करवाई. विभिन्न ट्रेड्स के लिए आयोजित ये परीक्षाएं लगभग एक माह चली थी.
कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू होने के चलते आईटीआई इंस्ट्रक्टर भर्ती दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया को बंद कर दिया गया था। लॉकडाउन हटने के बाद प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया गया , मगर आश्वाशन देकर फिर से परिणाम रोक लिया। क्या हरियाणा के मुख्यमंत्री को ऐसे मामलों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं देखना चाहिए. और यदि उनकी नज़र ऐसे मामलों पर है तो वो संज्ञान क्यों नहीं लेते या फिर युवाओं के साथ भद्दे मजाक कर उनकी जिंदगी से खेलना इन्होने अपना धंधा बना लिया है.