अप्रैल से अब तक 16 बर्थ डिफेक्ट बच्चों का हो चुका है सफल इलाज
फर्रुखाबाद | (आवाज न्यूज ब्यूरो) राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत जिले में जन्मजात गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों को बीमारियों से छुटकारा दिलाकर उनके जीवन को खुशहाल बनाने का प्रयास किया जा रहा है | इसके साथ ही कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरी तत्परता व सजगता के साथ सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन भी हो रहा है। इसी का नतीजा है कि कोरोना संकट के समय में भी अप्रैल से अब तक जिले के 16 जन्मजात विकृति वाले बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के तहत जिन 16 बच्चों का सफल इलाज हुआ है, वह सभी खुश हैं | शमसाबाद ब्लाक के मोहल्ला गढ़ी के रहने वाले सात वर्ष के अल्फैज के दिल में जन्म से ही छेद था | यह बात परिवार को मालूम नहीं थी, सभी पुत्र जन्म पर खुश थे | जब पता चला कि सामान्य बच्चों की तरह चलने और दौड़ते समय वह हांफ जाता है तो यह देखकर अल्फैज के पिता शान को चिंता हुई | उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शमसाबाद में बच्चे को आरबीएसके की टीम की डॉ कल्पना कटियार को दिखाया |जहां पर बच्चे के दिल में छेद होने की बात पता चली तो मानो पैरों तले जमीन ही खिसक गई | अल्फैज के पिता शान कहते हैं कि मैं रोज कमाने खाने वाला बच्चे के इलाज के लिए पैसे कहाँ से लाता | एक तो कोरोना ने सभी काम बंद कर रखे थे ऊपर से यह बीमारी | ऐसे में डॉ कल्पना ने मुझे डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में भेज दिया | वहाँ पर बच्चे का परीक्षण करने के बाद अलीगढ़ की एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग में भेज दिया गया |शान कहते हैं कि हम लोग अल्फैज को लेकर जेएन मेडिकल कॉलेज आए, जहां अपने बच्चे को दिखाया। बच्चे की दुर्लभ बीमारी को चिकित्सकों ने काफी गंभीरता से लिया। कॉर्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद आजम हसीन ने बच्चे की सर्जरी 22 नवम्बर को की | इस दौरान मेरा कोई भी पैसा खर्च नहीं हुआ और अब मेरा बच्चा स्वस्थ है |शान ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की बदौलत अब अल्फैज दूसरे बच्चों की तरह सामान्य है | उसके होठों पर मुस्कुराहट छा गई । राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैंनेजर अमित शाक्य ने बताया कि अप्रैल से अब तक कार्यक्रम के तहत जिले भर में जन्मजात विकृति वाले बच्चों का जिनमें टेढ़े मेढ़े पैर के सात, कटे- होंठ व तालू के 5, दिल में छेद की बीमारी का एक और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के तीन बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है। उन्होंने बताया इस तरह की बीमारी वाले बच्चों के अभिभावक स्वास्थ्य केंद्र,आंगनवाड़ी केंद्र,,सरकारी स्कूल व मदरसा के माध्यम से प्रत्येक ब्लाक पर कार्यरत आरबीएसके टीम से संपर्क कर सकते है।