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फिल्म-खेल का ही चढ़ा, है सब पे उन्माद।
फौजी मरता देश पर,कौन करे अब याद।।
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आज़ादी अब रो रही, देश हुआ बेचैन।
देख शहीदों के भरे, दुःख से यारों नैन।।
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मैंने उनको भेंट की, दिवाली और ईद।
सीमा पर मर मिट गए, जितने वीर शहीद।।
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काम करो इंग्लैंड में, रहें भला जापान।
रखना सदा सहेजकर, दिल में हिंदुस्तान।।
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आज़ादी अब पूछती, सबसे यही सवाल।
याद किसे है देश में, भारत माँ के लाल।।
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देकर अपनी जान जो, दिला गए हैं ताज़।
उन वीरों के खून को, याद करे सब आज।।
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लाज तिरंगें की रहे, बस इतना अरमान।
मरते दम तक मैं रखूँ, दिल में हिन्दुस्तान।।
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आधा भूखा है मरे, आधा ले पकवान।
एक देश में देखिये, दो-दो हिन्दुस्तान।।
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सरहद पर जांबाज़ जब, जागे सारी रात।
सो पाते हम चैन से, रह अपनों के साथ।।
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हम भारत के वीर हैं, एक हमारा राग।
नफरत गैरत से हमें, जायज से अनुराग।।
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खा इसका, गाये उसे, ये कैसे इंसान।
रहते भारत में मगर, अंदर पाकिस्तान।।
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मैंने उनको भेंट की, दिवाली और ईद।
जान देश के नाम जो, करके हुए शहीद।।
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घोटालों के घाट पर, नेता करे किलोल।
लिए तिरंगा हाथ में, कुर्सी की जय बोल।।
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आओ मेरे साथियों, कर लें उनका ध्यान।
शान देश की जो बनें, देकर अपनी जान।।
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भारत के हर पूत को, मेरा प्रथम प्रणाम।
सरहद पे जो है मिटा, हाथ तिरंगा थाम।।
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सींच चमन ये साथियों, खिला गए जो फूल।
उन वीरों के खून को, मत जाना तुम भूल।।
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-डॉ सत्यवान ‘सौरभ’