चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा

नई दिल्ली।  (आवाज न्यूज ब्यूरो)  लोकसभा चुनाव 2024 में अब कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं। देश में चल रही चुनावी तैयारियों के बीच, शनिवार को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा देकर सबको चैंका दिया। हालांकि, अब आम चुनावों की व्यवस्था का पूरा दारोमदार मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के कंधों पर है।
मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में थे गोयल
अरुण गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। इस साल फरवरी में अनूप पांडे के सेवानिवृत्त और गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रह गए हैं। अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) बनने की कतार में थे, उनका कार्यकाल पांच दिसंबर, 2027 तक था। जबकि मौजूदा सीईसी राजीव कुमार अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उनके बाद गोयल ही अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने वाले थे।
इस्तीफे का कारण?
सूत्रों के मुताबिक, गोयल ने निजी कारणों से इस्तीफा देने की बात कही है। सरकार की तरफ से उन्हें इस्तीफा नहीं देने के लिए मनाने की भी कोशिश हुई, लेकिन वह नहीं माने। सूत्रों का दावा है कि पांच मार्च को गोयल सेहत का हवाला देते हुए कोलकाता दौरा बीच में छोड़ आए थे। आठ मार्च को उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव के साथ चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में बैठक में हिस्सा लिया था। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार भी थे। कुछ रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि ‘विभिन्न मुद्दों पर मतभेद’ थे, जिसके कारण इस्तीफा दिया गया है।
आइए जानते हैं आखिर कौन हैं अरुण गोयल?
पंजाब के पटियाला के रहने वाले अरुण गोयल 1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस ऑफिसर थे। वह नवंबर 2022 में भारत निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे। सात दिसंबर, 1962 को पटियाला में जन्मे अरुण गोयल ने गणित में एमएससी किया है। पंजाब यूनिवर्सिटी की सभी परीक्षाओं में टॉप करने का रिकॉर्ड कायम करने के लिए गोयल को चांसलर मेडल ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया जा चुका है।
अरुण गोयल ने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी स्थित चर्चिल कॉलेज से विकास अर्थशास्त्र में विशिष्टता के साथ पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अरुण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और एक दिन बाद ही उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ‘आखिरकार जल्दबाजी’ क्या थी। याचिका को बाद में वर्ष 2023 में सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया था। कोर्ट के फैसले में कहा गया कि एक संविधान पीठ ने इस मुद्दे की जांच की थी, लेकिन अरुण गोयल की नियुक्ति को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
अब आगे क्या होगा?
इस साल फरवरी में अनूप पांडे के सेवानिवृत्त और गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रह गए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार अब लोकसभा चुनाव से पहले दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर सकती है।
इस चयन प्रक्रिया में दो समितियां शामिल होगीं। पहला कानून मंत्री के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय खोज समिति, जिसमें दो सचिव स्तरीय अधिकारी भी शामिल रहेंगे। इसके बाद इनके सुझाए नामों में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय चयन समिति फैसला करेगी। इस समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। इस प्रकार, इस प्रक्रिया में शामिल छह व्यक्तियों में से तीन सरकार के सदस्य हैं और दो सरकार द्वारा नियोजित हैं।
खोज समिति चयन समिति को पांच नामों की सिफारिश करेगी, हालांकि चयन समिति को इस सूची के बाहर से भी आयुक्तों का चयन करने का अधिकार है। इसके बाद चयन समिति द्वारा सुझाए व्यक्ति को राष्ट्रपति बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करेंगी।

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