कन्नौज: वार्डन की मौत के पीछे कोई राज तो नही?

कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय तालग्राम की वार्डन का आकस्मिक निधन

बृजेश चतुर्वेदी

कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) सोमवार की देर रात शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान छिबरामऊ से काउंसिलिंग निपटाकर वापस कन्नौज लौट रही बेसिक शिक्षाधिकारी संगीता सिंह ने रास्ते मे स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय तालग्राम के अचानक निरीक्षण का निर्णय लिया। वे परिसर में स्थित वार्डन कार्यालय में विभिन्न पंजिकाओं को सीन कर ही रही थी कि वार्डन रागिनी गौतम को पसीना पसीना होते देख चौंक गईं। वार्डन की सांसो की घरघराहट सुनकर उन्होंने पूछा कि उनकी तवियत खराब है क्या? श्रीमती गौतम ने इसका कोई उत्तर नही दिया किन्तु सहयोगियों और स्वयम बीएसए ने मौके की नजाकत समझ कर उन्हें गुरसहायगंज स्थित एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया जहां आक्सीजन की फौरी आवश्यकता समझकर चिकित्सक ने उन्हें जिला मुख्यालय स्थित संयुक्त चिकित्सालय रेफर कर दिया। जिला अस्पताल पहुचने से पहले ही वार्डन रागिनी गौतम ने दम तोड़ दिया। जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

आन कैमरा यह कहानी स्वयम बीएसए संगीता सिंह ने मीडिया को सुनाई। इस कहानी में एक पेंच है। बीएसए ने कहा कि वे बहुत थकी हुई थीं सुबह से पहले समाधान दिवस फिर कस्तूरबा छिबरामऊ का निरीक्षण और फिर डायट की काउंसिलिंग में व्यस्त रहने के कारण उन्हें घर पहुचने की जल्दी थी। प्रश्न है थकान और जल्दबाजी के बावजूद उन्होंने निरीक्षण का निर्णय लिया ऐसा क्यों?

दूसरे अपने को संयुक्त निदेशक बताने वाली एक महिला अधिकारी ने जिलाधिकारी को कई बार फोन करके पोस्टमार्टम कराए बिना ही मृतका का शव परिजनों को दिलवा देने की सिफारिश की। सिफारिश भी ऐसी कि डीएम झुंझला गए और उन्हें दो टूक कहना पड़ा कि बिना पोस्टमार्टम शव नही सौंपा जा सकता। क्या यह फोन कॉल सन्देह पैदा नही करती? हालांकि स्वर्गीया रागिनी की बड़ी बहन कमला सिंह भी संयुक्त निदेशक शिक्षा के पद पर रही है और वे इसी पद से सेवानिवृत्त हुई हैं किन्तु उन्होंने डीएम को फोन किये जाने से इनकार किया है। उल्लेखनीय है कि श्रीमती कमला सिंह के डायट प्राचार्य रहते ही रागिनी की कस्तूरबा में नियुक्ति हुई थी। 

सवाल जस का तस है कि खुद को जेडी बताने वाली महिला कौन थी और उसका इस बात में क्या निहितार्थ था कि शव का पोस्टमार्टम न होने पाए। इस मामले में कोई भी ज़िम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नही।

 कन्नौज जिले में वर्ष 2007 में 5 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों की स्थापना हुई थी और इनमें सर्वप्रथम नियुक्ति रागिनी गौतम की ही हुई थी। फतेहपुर की चौडगरा तहसील क्षेत्र की निवासी श्रीमती गौतम मेहनती, मिलनसार और व्यावहारिक महिला थी तालग्राम एकमात्र विद्यालय है जहां के बारे में आज तक कोई शिकायत विभाग को नही मिली जबकि कई अन्य वार्डन का किसी न रूप में विवादों से गहरा नाता रहा है।

आज अपरान्ह पोस्टमार्टम के बाद श्रीमती गौतम का पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंप दिया गया जिसे लेकर वे फतेहपुर रवाना हो गए।

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