हाथरस भगदड कांड : 12 जुलाई को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुआ पूरा हादसा : एसआईटी
एसडीएम, सीओ व तहसीलदार सहित छह अधिकारियों को निलंबित
लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो)
 हाथरस भगदड़ मामले में बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस पर अब 12 जुलाई को सुनवाई तय की गई है। याचिका में 5 सदस्यीय समिति गठित कर मामले की जांच की मांग की गई है। इसके अलावा, निकट भविष्य में इस तरह की घटना ना हो। इसके लिए विभिन्न राज्यों को दिशानिर्देश जारी करने की भी मांग की गई है। याचिका में घटना में शामिल आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सीजेआई ने कहा कि हमने मामले को सूचीबद्ध कर लिया है।
बता दें कि दो जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा साकार हरि के सत्संग में आए श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मच गई थी। इस भगदड़ में 121 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने हादसे को संज्ञान में लेने के बाद मृतकों के परिजनों को दो लाख और घायलों को 50 हजार देने का ऐलान किया था। सीएम योगी ने हादसे में शामिल आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी बात कही थी। यही नहीं, हादसे के एक दिन बाद सीएम योगी आदित्यनाथ घटनास्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने घायलों और मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया था।
उधर, मामले की जांच के लिए एसआईटी का भी गठन किया गया था। अब तक इस मामले में छह आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम, सीओ व तहसीलदार सहित छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किये आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 2, 3 और 5 जुलाई को घटना स्थल का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान कुल 125 लोगों के बयान लिए गए, जिसमें प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ आम जनता एवं प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी शामिल हैं। इसके अलावा, घटना के संबंध में प्रकाशित समाचार की प्रतियां, वीडियोग्राफी, छायाचित्र, वीडियो क्लिपिंग का संज्ञान लिया गया।
उधर, विपक्षी दल भी लगातार इस हादसे को लेकर योगी सरकार को घेर रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि शासन-प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ। एसआईटी ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह पूरा हादसा हुआ।

Check Also

किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता सोशल मीडिया

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा है कि सरकार 16 साल से कम …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *