बांग्लादेश की संसद भंग : मोहम्मद यूनुस बने अंतरिम सरकार के मुखिया

नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने मंगलवार को संसद को भंग कर दिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया है। यह फैसला प्रधानमंत्री शेख हसीना के अचानक इस्तीफा देने और कई सप्ताह तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद देश छोड़कर भागने के एक दिन बाद मंगलवार को लिया गया।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के प्रेस सचिव ने कहा कि अंतरिम सरकार के अन्य सदस्यों के नाम विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद तय किए जाएंगे। दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश के प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के सदस्यों के नाम पर बुधवार को फैसला हो जाएगा।
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव मोहम्मद जोयनल आबेदीन ने मंगलवार देर रात बताया कि राष्ट्रपति शहाबुद्दीन की बंगभवन (राष्ट्रपति भवन) में तीनों सेनाओं के प्रमुखों और ’भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन’ के समन्यवकों के बीच हुई बैठक के दौरान अंतरिम सरकार की नियुक्ति का फैसला लिया गया।
अंतरिम सरकार हसीना के इस्तीफे की घोषणा के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट को भरेगी। हसीना के भारत भागने के बाद सेना प्रमुख ने घोषणा की थी कि देश में जल्द ही अंतरिम सरकार नियुक्त की जाएगी। बांग्लादेश में जुलाई से शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों में अब तक लगभग 300 लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग घायल हुए हैं। अंतरिम सरकार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद चुनाव कराने की भी उम्मीद है। प्रेस सचिव ने बताया कि पेरिस में चिकित्सा प्रक्रिया के बाद यूनुस के गुरुवार को ढाका पहुंचने की उम्मीद है। छात्र आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक नाहिद इस्लाम ने राष्ट्रपति शहाबुद्दीन की घोषणा के बाद पत्रकारों को बताया कि छात्रों ने अंतरिम सरकार के लिए एक प्रारंभिक सूची में 10-15 सदस्यों की सिफारिश की है, जिसे उन्होंने राष्ट्रपति के साथ साझा किया है।

इस्लाम ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मंगलवार देर शाम से शुरू होने वाले अगले 24 घंटों में अंतरिम सरकार को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस्लाम ने कहा कि सरकार के लिए छात्रों की सिफारिशों में सिविल सोसायटी के सदस्य और छात्र प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और उसी दिन 5 अगस्त की शाम भारत पहुंचने के बाद अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि उनका अंतिम ठिकाना कहां होगा। अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने अपने सूत्रों के हवाले लिखा है कि ब्रिटेन द्वारा उनके शरण के अनुरोध को स्वीकार करने की “संभावना नहीं“ है। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हसीना, जिन्हें बहुत कम समय में बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था, अपने निकटतम परिवार के सदस्यों वाले देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फिनलैंड और भारत के अलावा संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे अन्य देशों में जाने के विकल्पों पर चर्चा कर रही हैं।
भारत ने बांग्लादेश में चल रही हिंसा को देखते हुए ढाका स्थित अपने दूतावास के स्टाफ को कम कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भारत बांग्लादेश में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम कर रहा है और ढाका में भारतीय उच्चायोग से गैर-जरूरी कर्मचारियों और परिवारों को स्वैच्छिक आधार पर कमर्शियल उड़ान के जरिए वापस भेजा जा रहा है। अखबार के मुताबिक दूतावास काम कर रहा है और सभी भारतीय राजनयिक ढाका में ही बने हुए हैं। ढाका में दूतावास के अलावा, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में भी भारत के सहायक उच्चायोग हैं। भारतीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक वहां जरूरी स्टाफ मौजूद रहेगा और कामकाज सामान्य तरीके से चलता रहेगा। सिर्फ उस स्टाफ को हटाया गया है जो बहुत जरूरी नहीं थे। एक अधिकारी ने बताया कि एयर इंडिया और इंडिगो की विशेष उड़ानों के जरिए 400 से अधिक लोगों को ढाका से निकाला गया, जिनमें छह शिशु भी शामिल थे।

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