बृजेश चतुर्वेदी
2022 विधानसभा चुनाव सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए बहुत अहम् है। विजय रथ यात्रा में मिला व्यापक जन समर्थन सपा की ताकत है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे लोकप्रिय और योगी जैसे ईमानदार मुख्यमंत्री से कड़ी चुनौती है। 2022 का विधानसभा चुनाव 2007, 2012 और 2017 से अलग है। इस चुनाव में किसी भी दल का पूरे प्रदेश में एक जैसा व्यापक समर्थन नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान मुद्दा है। तो पूर्वांचल, मध्य, बुंदेलखंड में जातीय समीकरण अहम् है। ऐसे में सभी दलों के लिए गंभीर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पहलू है। अखिलेश यादव के सामने अगर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में होते तो विजय रथ यात्रा में मिल रहे जन समर्थन की ताकत काफी भारी होती। लेकिन योगी के संरक्षक के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र की सभी एजेंसियां और गृह मंत्री जैसा चुनाव प्रबंधक एवं केन्द्र एवं प्रदेश की डबल इंजन की सरकार तथा भाजपा के केन्द्र एवं प्रदेश संगठन शामिल है। इन सब के बाद उत्तर प्रदेश के भ्रमण के समय मतदाताओं के रूख एवं राजनीतिक स्थितियों को देखे तो अखिलेश के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पहलू दिखाई दे रहे हैं।
अखिलेश के सकारात्मक बिंदु
1. बसपा एवं कांग्रेस के कमजोर होने के कारण जनता की निगाह में भाजपा का विकल्प अखिलेश
2. मोदी और योगी से नाराज जनता विकल्प के रूप में अखिलेश को देख रही है
3. साफ़ सुथरी छवि और विकास का चेहरा
4. मुख्यमंत्री के रूप में विकास कार्य कराने का जनता में परसेप्शन
5. युवाओं में अखिलेश की लोकप्रियता
6. अल्पसंख्यकों की पसंद अखिलेश
7. मायावती और योगी की तुलना में सभी वर्गों में अखिलेश की लोकप्रियता अधिक
8. कोरोना संकट में सरकार की असफलता, ध्वस्त स्वास्थ्य सेवाएं, महंगाई आदि तमाम मुद्दे हैं जो अखिलेश के पक्ष में है
9. रालोद और ओम प्रकाश राजभर तथा शिवपाल सिंह यादव व अन्य छोटे जातीय दलों से गठबंधन से अखिलेश को ताकत मिलेगी
10. बेरोजगार युवकों की योगी सरकार से नाराजगी का भी लाभ मिल सकता है
11. महंगाई एक ऐसी समस्या है जिसमें ग्रामीण से लेकर शहरी सभी मतदाता परेशान है इस नाराजगी का भी लाभ सपा को मिल सकता है
12. ग्रामीण क्षेत्रों में किसान सम्मान निधि पर छुट्टा जानवर भारी पड़ सकते हैं
13. सपा की सबसे बड़ी ताकत समर्थकों में जबर्दस्त उत्साह और रैलियों में जुटती भीड़ है
14. योगी की कार्यशैली से नाराज ब्राह्मण और पिछड़ो का समर्थन अखिलेश को ताकत दे सकता है
15. जातीय समीकरण में भी अखिलेश के बढ़ते प्रभाव का लाभ मिल सकता है
अखिलेश के नकारात्मक बिंदु
1. अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे प्रभावशाली एवं लोकप्रिय नेता का चेहरा
2. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विधानसभा चुनाव की कमान सीधे हाथ में लेना
3. गृह मंत्री अमित शाह जैसा चुनावी प्रबंधकर्ता
4. केंद्र एवं प्रदेश सरकार की डबल इंजन सरकार की अपार संसाधनों से मुक़ाबला
5. केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच से बन रहे परसेप्शन से बचाव करना
6. योगी आदित्यनाथ का ईमानदार और हिंदुत्व चेहरा
7. वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा8. आजम खां की पैरोकारी में कमी से अल्पसंख्यकों में भी नाराजगी
9. ओवैसी का मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास
10. मीडिया का एक सेट एजेंडे के साथ भाजपा को समर्थन और अखिलेश पर हमला
11. भाजपा के 46 से अधिक अनुसंगिक संगठनों के नेटवर्क से बनाये जा रही माउथ पब्लिसिटी से मुक़ाबला
12. माउथ पब्लिसिटी एक माह से अधिक 7 चरणों में होने वाली मतदान में परसेप्शन बदलने काफी सहायक होती है जिसका लाभ असमंजस में फंसे फ्लोटिंग मतदाताओं का मिल जाता है।