सुप्रीम कोर्ट ने प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने पर चुनाव आयोग से मांगा स्पष्टीकरण

नई दिल्ली ।  (आवाज न्यूज ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने भारत के चुनाव आयोग से प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने के अपने फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ भारत के चुनाव आयोग के संचार को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 कर दी गई।
सीजेआई ने चुनाव आयोग से पूछा कि अगर मतदान केंद्र पर 1500 से अधिक लोग आते हैं तो स्थिति को कैसे संभाला जाएगा?
चुनाव आयोग की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि मतदान केंद्र 2019 से मतदाताओं की बढ़ी हुई संख्या को समायोजित कर रहे हैं। ऐसा निर्णय लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों से परामर्श किया जाता है। सीजेआई ने चुनाव आयोग से इस तरह के निर्णय के कारणों को स्पष्ट करने वाला हलफनामा दाखिल करने को कहा, “हर बूथ पर निर्णय लेने से पहले राजनीतिक दलों से सलाह ली जाती है।“
उन्होंने मौखिक रूप से कहा, “स्थिति को स्पष्ट करते हुए संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करें, हम चिंतित हैं कि किसी भी मतदाता को परेशानी न हो।“
जस्टिस कुमार ने यह भी पूछा, “मतदान केंद्र में कई मतदान केंद्र हो सकते हैं तो क्या यह (नीति) एक ही बूथ-मतदान केंद्र पर भी लागू होगी?“ इस पर सिंह ने जवाब दिया कि हलफनामे में उपरोक्त पहलू पर स्पष्टीकरण दिया जाएगा। इसके बाद पीठ ने चुनाव आयोग को 3 सप्ताह के भीतर संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। इससे पहले, पीठ ने बिना नोटिस जारी किए निर्देश दिया कि याचिका की अग्रिम प्रति चुनाव आयोग के नामित/सरकारी वकील को दी जाए, जिससे वे तथ्यात्मक स्थिति पर निर्देश प्राप्त कर सकें और अगली तारीख पर अदालत में पेश हो सकें।
पिछली सुनवाई के दौरान, सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी याचिकाकर्ता (सोशल एक्टिविस्ट) की ओर से पेश हुए और तर्क दिया कि प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या में 1200 से 1500 की वृद्धि मतदाताओं के लिए चुनौतियां पैदा करती है और यह मतदाता वंचितता का कार्य है। यह तर्क दिया गया कि विवादित तदर्थ निर्णय (निर्णयों) से वंचित समूहों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखा जा सकता है, क्योंकि वे मतदान के लिए असंगत समय नहीं निकाल सकते हैं।
07.08.2024 के विवादित संचार के खंड 7.4  (iii) को पढ़ते हुए सिंघवी ने समझाया कि यदि एक मतदान केंद्र पर 1500 तक मतदाता हैं, तो कोई युक्तिकरण नहीं होगा। केवल यदि संख्या 1500 से अधिक है तो एक नया मतदान केंद्र अस्तित्व में आएगा। सीनियर वकील ने कुछ समाचार पत्रों की रिपोर्टों का भी हवाला दिया, जिसमें बताया गया कि मतदाता लंबी कतारों/प्रतीक्षा अवधि और खराब मौसम की स्थिति के कारण हतोत्साहित होते हैं। अब इस मामले की सुनवाई जनवरी 2025 में होगी।
केस टाइटलः इंदु प्रकाश सिंह बनाम भारत का चुनाव आयोग और अन्य, डायरी नंबर 49052-2024

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