लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) जेल में बंद आजम खां ने चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी लिखने का मकसद ‘इंडिया’ गठबंधन की सियासत पर सवाल उठाना है। उन्होंने चिट्ठी के मार्फत पूछा है कि सभंल हिंसा पर ‘इंडिया’ गठबधंन हाय तौबा मचा रहा है, लेकिन जब रामुपर में मुस्लिम लीडरशिप को कुचला जा रहा था तब वह कहां था? राजनीतिक विषलेशकों की नजर में इस चिट्ठी के कई मायने है। जेल में नगीना सांसद चन्द्रशेखर रावण उनसे मिलने पहुंचे थे। उसके बाद कई अन्य नेताओं की मुलाकात जेल में बंद आजम खां से हुई थी। रावण से मुलाकात के महज 15 दिनों के भीतर यह सियासी डेवलपमेंट हुआ है।
बनेगी रावण-अब्दुल्ला की जोड़ी
सूत्रों की माने तो दरअसल भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार पिछड़ा-मुस्लिम वोटों में ध्रवीकरण करना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबधंन को एक मुश्त मिले मुस्लिम वोटों से बीजेपी की त्योरियां चढ़ी हुई हैं। और वह चाहती है कि ऐसा दोबारा न हो। हालांकि एआईएमएम के जरिये बहुत कोशिश की गयी लेकिन वह फार्मूला सफल नहीं हुआ। अब चन्द्रशेखर और आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम की जोड़ी के जरिये यूपी की सियासत को दोबारा से मथना चाहती है बीजेपी ।
सपा के जिला अध्यक्ष ने जारी किया पत्र
सपा के दिग्गज नेता आजम खां की चिट्ठी का संदेश रामपुर के जिला सपा कार्यालय ने जारी किया है। चिट्ठी को वहां के जिलाध्यक्ष के पैड पर प्रसारित किया गया है। चिट्ठी में आजम खां के संदेश को प्रस्तुत किया गया है। जारीकर्ता के हस्ताक्षर के रूप में अजय सागर जिला अध्यक्ष का नाम पत्र के अंत लिखा गया है।
क्या लिखा है चिट्ठी में!
समाजवादी पार्टी रामपुर में हुए जुल्म और बर्बादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाएं जितना संभल का, क्योंकि रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही संभल पर आक्रमण हुआ है। रामपुर की बर्बादी पर ‘इंडिया’ गठबंधन खामोश तमाशायी बना रहा और मुस्लिम लीडरशिप को मिटाने पर काम करता रहा। ‘इंडिया’ गठबधंन को अपनी स्थिति स्पष्ट करना होगी अन्यथा मुसलमान के हालात और भविष्य पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मुसलमानो पर होने वाले हमलों और उनकी मौजूदा स्थिति पर तथा अपनी नीति पर खुलकर स्थिति स्पष्ट करें। यदि मुसलमानो के वोट का कोई अर्थ ही नहीं है और उसके वोट का अधिकार उनकी नस्लाकुशी करा रहा है तो उन्हें विचार करने पर मजबूर होना पड़ेगा कि उनके वोट के अधिकार को रहना चाहिए या नहीं। बेसहारा, अलग-थलग और अकेला, खाक व खून में नहाया हुआ अधिकार, इबादत गाहों को विवादित बनाकर समाप्त करना इत्यादि, केवल साजिश करने वालों, षड्यंत्र रचने वालों तथा दिखावे के हमदर्दी के लिए देश की दूसरी आबादी को बर्बाद एवं नेस्तोनाबूद नहीं किया जा सकता।
बेटे के सियासी कैरियर को लेकर संजीदा हैं आजम
‘इंडिया’ गठबधंन में इन दिनों नेतृत्व को लेकर घमासान मचा हुआ है। ऐसे में आजम खां ने ‘इंडिया’ गठबंधन के जरिये समाजवादी पार्टी को सवालों के घेरे में लिया है। आजम की सियासत को करीब से समझने वाले कहते हैं कि आजम बस मौके की तलाश में थे। वह लागातार समजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर बेरूखी अख्तियार करने के आरोप लगाते हैं। उन्हें बस मौके का इंतजार था। वह अपने बेटे के राजनीतिक कैरियर को लेकर बेहद चिंतित है। आजम चाहते हैं कि अब्दुल्ला आजम पर लगे आरोप हटें और वह मेन स्ट्रीम राजनति में चमकें। वह जानते हैं कि राजनीति में बिना ताकत के ज्यादा दिनों तक सरवाइव नहीं किया जा सकता और आजम खां के नाम पर अब्दुल्ला आजम ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते। ऐसे में चन्द्रशेखर के रूप में एक मजबूत कंधा उन्हें मिल चुका है। जोकि उनकी कानूनी लड़ाई और राजनीतिक लड़ाई को आगे बढ़ायेगा।
उपचुनावों के समय आजम खां के परिजनों से मिले थे सपा प्रमुख
यूपी उपचुनावों के समय आजम खा चर्चा में थे। दरअसल उस समय समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के साथ मुलाकात की खबर सामने आई थीं। दरअसल अखिलेश के पहले से फिक्स के मुताबिक वह मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर चुनावी रैली करने के बाद वहां से रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी जाने वाले थे। इसके बाद अखिलेश जेल रोड स्थित आजम खां के घर जाकर परिवार से भी मिले। पूर्व मंत्री आजम खां या उनके परिवार के साथ अखिलेश यादव की आखिरी मुलाकात लोकसभा चुनाव के समय ही हुई थी। टिकट बंटवारे को लेकर अखिलेश ने उस वक्त सीतापुर जेल में जाकर आजम के साथ मुलाकात की थी। लेकिन उसके बाद से समाजवादी पार्टी का कोई भी बड़ा नेता ना तो आजम से और ना ही उनके परिवार से मिला।
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