नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) वक्फ संशोधन विधेयक भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही पास हो गया है। तमाम विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। इन सबके बीच वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। ये याचिका एसोसिएशन फॉर द प्रोटैक्शन ऑफ सिविल राइट्स की तरफ से दायर की गई है, इससे पहले आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी याचिका दायर की थी। वक्फ मामले में अब तक 4 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। ये याचिकाएं में केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। याचिका में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। इस बिल को लेकर कई मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं तो कई संगठन सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं। इसके अलावा कई जगहों पर इस विधेयक के खिलाफ जमकर विरोध हो रहा है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल समेत कई जगहों पर मुस्लिम समाज ने इस बिल के आने पर खुशी जाहिर की थी, इसके साथ ही जमकर आतिशबाजी भी की थी।
वक्फ बिल के विरोध में अब तक 4 याचिकाएं दायर
वक्फ बिल पास होने के बाद विपक्ष और कई मुस्लिम संगठनों ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शनिवार को दिल्ली से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान और एसोसिएशन फॉर द प्रोटैक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने याचिका दायर की है। इसके पहले शुक्रवार को भी 2 याचिकाएं दायर की गई थी। जिसमें कांग्रेस नेता मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने यह याचिका लगाई थी। कांग्रेस नेता जावेद ने अपनी याचिका में दावा किया गया कि इन प्रतिबंधों से उन लोगों के खिलाफ भेदभाव होगा, जिन्होंने कुछ समय पहले इस्लाम धर्म अपनाया है और अपनी संपत्ति धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित करना चाहते हों। लिहाजा इससे संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन होता है, इसलिए उन्होंने मांग की है कि इस विधेयक पर रोक लगाई जाए। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिल के विरोध में याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक के प्रावधान मुसलमानों और मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान संशोधन के विरोध में विधेयक की कॉपी को फाड़ दिया था। एसोसिएशन फॉर द प्रोटैक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने भी वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अब तक बिल को भले ही राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इसके विरोध में 4 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं।
