बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज। (आवाज न्यूज ब्यूरो) ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार ने सोच लिया है कि पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी नहीं करनी है चाहे कुछ भी हो जाए। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि लोग इसके आदी हो गए हैं। वे सौ रुपए लीटर पेट्रोल खरीद रहे हैं और कोई शिकायत नहीं कर रहे हैं। इसलिए अगर अभी दो, चार या पांच रुपए प्रति लीटर की कटौती हो जाए तो उनको ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन अगर उसके बाद फिर कभी दाम बढ़ाने की जरुरत पड़ी तो मुश्किल होगा। यानी दाम घटा कर जितना लाभ होगा, उससे ज्यादा नुकसान फिर दाम बढ़ाने पर होगा। इसलिए दाम स्थिर रखने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम हुए तो उसका लाभ जनता को देने की बजाय सरकार ने खुद लेने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण दुनिया भर में मंदी की आशंका है और उसी वजह से तेल सहित तमाम कमोडिटी के दाम घटे हैं। कच्चा तेल 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। फिर भी दाम कम करने की बजाय सरकार ने दो रुपए उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया और उसका बोझ तेल कंपनियों पर डाल दिया। अब कच्चा तेल महंगा होगा और सरकार उत्पाद शुल्क घटाएगी भी तो फायदा कंपनियों को ही देगी। दूसरी ओर रसोई गैस के सिलेंडर में 50 रुपए का इजाफा और सीएनजी की कीमत में एक रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी का बोझ जनता पर डाल दिया गया है।