बडी खबर : खटाई में पड़ सकता है बिजली के निजीकरण का मसौदा : पूरे प्रस्ताव की नए सिरे से जांच कराने की मांग

लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करके निजीकरण के मसौदे को घोटाला करार दिया। पूरे मामले में नए सिरे से जांच कराने की मांग की है। दाखिल प्रस्ताव में कहा कि मसौदे में दक्षिणांचल और पूर्वांचल के 42 जिलों के निजीकरण के मसौदे पर विद्युत नियामक आयोग से सलाह मांगने की बात कही गई है। जबकि असंवैधानिक रूप से नियुक्त ग्रांट थॉर्नटन की भूमिका संदिग्ध है। आयोग को तत्काल इसे खारिज कर देना चाहिए। उपभोक्ता परिषद में आयोग से मांग की की पूरे मसौदे को सार्वजनिक किया जाए। क्योंकि आयोग ने स्वतः बकाया वसूली, वितरण हानियां का अनुमोदन टैरिफ प्रस्ताव में दिया है। आरडीएसएस का अनुमोदन देते समय कई मानक बनाए गए। इस मसौदे में यह कैसे लिखा जा सकता है कि दक्षिणांचल व पूर्वाचल के विद्युत उपभोक्ताओं पर जो कुल लगभग 65909 करोड़ बकाया है। उसमें से 30 से 40 फीसदी बकाया वसूलना बाध्यकारी होगा। मसौदे में यह भी कहां गया है कि आरडीएसएस स्कीम में खर्च होने वाले दोनों बिजली कंपनियां पर लगभग 20000 करोड़ को लोन में कन्वर्ट कर दिया जाए। निश्चित तौर पर इसकी अदायगी पावर कॉरपोरेशन करेगा, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ेगा। बिजली कंपनियों की इक्विटी को ज्यादातर लॉन्ग टर्म लोन में बदल दिया गया है। तीन साल तक देश के निजी घरानों को उसका भुगतान भी नहीं करना पड़ेगा।

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