बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) भारतीय जनता पार्टी के विधायक कैलाश राजपूत ने 60 वर्ष का रिकार्ड तोड़कर एक इतिहास रच दिया। वे चौथी बार विधायक बने और हमेशा सत्ता की राजनीति की। इस बार कांटे की टक्कर मिली, लेकिन अंतिम चरण में जीत हासिल कर परचम लहरा ही दिया।
तिर्वा विधानसभा क्षेत्र की सियासत 1962 में शुरू हुई थी और पहला चुनाव हुआ था, उस समय इसे उमर्दा विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। उसके बाद लगातार किसी भी विधायक का दबदबा नहीं रहा। हर बार चुनाव में परिवर्तन होता रहा। छिबरामऊ विधानसभा क्षेत्र के मूल निवासी होने के बावजूद कैलाश राजपूत ने अपनी राजनीति तिर्वा से शुरू की थी। यहां पर पहली बार 1996 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 2002 में हारे और सपा के विजयबहादुर पाल जीतकर मंत्री बने। इसके बाद कैलाश राजपूत ने दल बदल दिया और वर्ष 2007 में बसपा का दामन थाम कर चुनाव लड़ा। जीत हासिल कर सत्ता की राजनीति की। वर्ष 2012 में सपा के विजय बहादुर पाल से फिर हारे। इसके बाद 2017 में भाजपा का दामन दोबारा थामा और जीत हासिल की। साथ ही सत्ता की राजनीति की। इसके बाद लगातार दूसरी बार फिर से चुनाव जीतकर अपना परचम लहराया।
उमर्दा/ तिर्वा के अब तक के विधायक
1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के होरीलाल,1969 में कांग्रेस पार्टी के रामरतन पांडेय,1974 में जनसंघ के धर्मपाल, 1977 में जनता पार्टी के रामबक्श वर्मा, 1980 में कांग्रेस के कुंवर योगेंद्र सिंह,1985 में जनता दल की रामनंदनी वर्मा,1991 में सपा के अरविद प्रताप सिंह, 1996 में भाजपा के कैलाश राजपूत, 2002 में सपा के विजय बहादुर पाल,2007 में बसपा के कैलाश राजपूत, 2012 में सपा के विजय बहादुर पाल, 2017 में भाजपा के कैलाश राजपूत, 2022 में भाजपा के कैलाश राजपूत पुनः निर्वाचित।
चौथी बार विधायक बनकर चमके
कैलाश राजपूत राजनीतिक किस्मत के धनी हैं। यही कारण है, कि वह हमेशा सत्ता पक्ष के विधायक रहे। 1996 में भाजपा से, 2007 में बसपा से और 2017 में भाजपा से व 2022 में फिर से भाजपा सरकार के विधानसभा सदस्य बने हैं।