2022 में सत्ता से बाहर हो सकती है भारतीय जनता पार्टी?
लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) यूपी में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं। वर्तमान में केन्द्र व प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज है,जाहिर है सरकारी मशीनरी भी उसकी मुट्ठी में है। इन सबके बाबजूद यूपी विधानसभा चुनाव के बीते चुनाव परिणामों पर नजर ड़ालें तो यूपी की जनता हर बार बदलाव कर देती है। बीते 2017 विधानसभा चुनाव में मुलायम परिवार की कलह के चलते सपा 50 सीटों के नीचे सिमट गई थी वहीं भाजपा ने 312 सीटें लेकर प्रचण्ड़ बहुमत की सरकार बनाई थी। यदि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को चाचा शिवपाल का साथ मिला तो समाजवादी पार्टी 240-270 सीटें लेकर यूपी में सरकार बनायेगी और भाजपा को सत्ता से बेदखल कर देगी!
बताते चलें कि सत्ता की ताकत और मीडिया के सर्वे उस वक्त धरे रह जाते हैं जब जनता स्वंय बदलाव तय कर लेती है जैसा कि 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों और इसी साल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणामों में देखने को मिला जिसमें राजनैतिक पंड़ितों के सारे कयास धरे के धरे रह गये। आपको बता दें कि बीते 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्ता की सारी ताकत झोंक रखी थी और उसके मंत्री,मुख्यमंत्री से लेकर सभी छोटे-बड़े नेताओं ने दिल्ली में घर-घर दस्तक दी थी,लेकिन तत्कालीन और आज के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सत्ता से बाहर करने में भाजपा नाकामयाब रही। ठीक इसी तरह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी के तमाम नेताओं को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था। इन सब के बाबजूद वहां पर ममता बनर्जी के नेत्रत्व में टीएमसी की सरकार बनी।
यह तो तय है कि भाजपा यूपी की सत्ता पर काबिज होने के लिये राजनीति का हर हथकंड़ा अपनायेगी लेकिन इस बार चाचा शिवपाल के अखिलेश के साथ आने की खबरें यदि सही साबित होती हैं तो सपा 240-270 सीटें लेकर यूपी में सरकार बनायगी और भाजपा को सत्ता से बेदखल कर देगी! और अगर यह गठबंधन परवान न चढा तो सपा 100-125 सीटों के बीच सिमट जायेगी। गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच प्रो0 रामगोपाल यादव साबित होंगे क्योंकि उनकी मर्जी के बिना समाजवादी पार्टी में कोई फैसला नहीं हो सकता। हालांकि सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों दल भाजपा पर निशाना साधने में जुटे हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी के साथ मिलकर जनता को अपने विकास के काम गिनाने में लगे हैं। हालांकि सत्ता पर कौन काबिज होगा ये तो चुनावों के बाद ही तय हो सकेगा।
गौरीगंज 185
विधानसभा का सर्वे कराने में कितना खर्चा लगेगा