नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी बनाने जा रहे हैं। इतना ही नहीं गुलाम नबी आजाद का कहना है कि उनका अभी राजनीति से संन्यास लेने का कोई मन नहीं है। वह कश्मीर में जनमत का सम्मान करेंगे और इसी उम्मीद से वह अपनी पार्टी बनाकर कश्मीर के चुनावों में भाग लेंगे।
गुलाम नबी आजाद के पार्टी बनाने के निर्णय को महत्वपूर्ण कदम की तरह देखा जा रहा है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के 3 साल पूरे हो गए हैं। गुलाम नबी आजाद की पहचान कश्मीर घाटी के नेता के रुप में रही है। इसलिए यदि गुलाम नबी आजाद अपनी स्वतंत्र पार्टी बनाकर चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें फायदा मिल सकता है। सरकार बनाने में उनकी पार्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अभी कुछ दिनों पहले नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यह ऐलान किया कि कश्मीर राज्य में भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर उनकी पार्टी अकेले ही लड़ेगी। ऐसे में गुपकार अलायंस का अस्तित्व खत्म हो चुका है। गुपकार अलायंस के खत्म होने का फायदा गुलाम नबी आजाद को मिल सकता है। उनकी पार्टी अगर चुनाव में शामिल होती है तो उसे बढ़त मिल सकती है।
कश्मीर में चुनाव होने पर यदि गुलाम नबी आजाद अपनी नई पार्टी के साथ जम्मू-कश्मीर के लिए किसी नए एजेंडे, नई सोच की नींव रखते हैं तो उनको फायदा मिल सकता है। आतंकवाद का दौर और 370 हटने के बाद कश्मीर के लोग गुलाम नबी आजाद में नई उम्मीद देख सकते हैं। फारुक अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सईद की फैन फॉलोइंग अब कश्मीर घाटी में ढलान पर है। ऐसे में गुलाम नबी आजाद को बढ़त मिलने की संभावना है। चुनाव आयोग ने भी गैर स्थानीय वोटरों के नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने की बात कही है। इसी के साथ वोट डालने के लिए स्थानीय निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता भी खत्म कर दी है। जम्मू-कश्मीर में रह रहे कर्मचारी, छात्र, मजदूर और कोई भी गैर स्थानीय अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करा सकता है। इस कदम के बाद कश्मीर में वोटों का समीकरण बदल चुका है। इसका फायदा भी गुलाम नबी आजाद को मिल सकता है। उनके प्रधानमंत्री मोदी जी से अच्छे संबंध हैं। इसलिए यदि चुनावों में कश्मीर घाटी में उनकी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती है तो गठबंधन की संभावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है। गुलाम नबी आजाद ने आज शुक्रवार को संगठनात्मक चुनावों से पहले पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर आंतरिक चुनावों के नाम पर पार्टी के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया। इससे पहले कपिल सिब्बल और अश्विनी कुमार सहित कई हाई प्रोफाइल नेताओं के बाहर निकलने से कांग्रेस की स्थिति यूं भी कमजोर हुई है। इस्तीफा देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दुर्भाग्य से, कांग्रेस की स्थिति इस हद तक पहुंच गई है कि अब पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए ‘प्रॉक्सी’ का सहारा लिया जा रहा है। यह प्रयोग विफल होने के लिए बर्बाद है क्योंकि पार्टी इतनी व्यापक रूप से नष्ट हो गई है कि स्थिति अपरिवर्तनीय हो गई है। इसके अलावा, ‘चुना हुआ’ एक स्ट्रिंग पर एक कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं होगा। गुलान नबी आजाद का कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी बनाने का ऐलान एक बड़ा कदम है। इसके क्या परिणाम रहते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
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