जिले में चार दिसंबर तक चलेगा सेवा प्रदायगी पखवाड़ा

परिवार पूरा होने पर सरवन ने दिखाई समझदारी , नसबंदी अपनाई

सिविल अस्पताल और डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में होंगी पुरुष नसबंदी

फर्रुखाबाद।(आवाज न्यूज ब्यूरो) जब परिवार बड़ा होता है तो उसका सही तरीके से लालन – पालन करना मुश्किल हो जाता है l ऐसे में बच्चों को पढ़ाने- लिखाने और अन्य खर्च उठाने में परेशानी होती है lइन्हीं बातों का जिक्र करते हुए एक दिन एएनएम रोजी ने समझाया कि नसबंदी करा लो क्योंकि अब आपका परिवार पूर्ण हो गया है तो पत्नी ने मना कर दिया कि पति क्यों मैं खुद अपनी नसबंदी करवा लूंगी। बहुत समझाने पर वह राजी हुईं और इसी साल 27 जुलाई को मैने नसबंदी करा ली l यह समझदारी दिखायी पिपरगांव के रहने वाले 40 वर्षीय सरवन कुमार ने। वह पेशे से हलवाई हैं और घर में छह बच्चे और पत्नी हैं l
सरवन का कहना है कि नसबंदी से मुझे कोई भी परेशानी नहीं हुई और मेरा जीवन भी बेहतर चल रहा है l मुझे इसके लिए तीन हज़ार रुपए भी मिले l मैं अपील करता हूं कि आप लोग अगर अपनी पत्नी और परिवार से प्यार करते हैं तो परिवार पूर्ण होने पर नसबंदी की सेवा जरूर अपनाएं |
जिले में इस समय पुरुष नसबंदी पखवाड़ा चल रहा है जो चार दिसम्बर तक चलेगा| इस दौरान सिविल अस्पताल लिंजीगंज और डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय पुरूष में प्रतिदिन इच्छुक लाभार्थियों को नसबंदी की सेवा प्रदान की जा रही है | परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह का कहना है कि जब बात परिवार नियोजन की आती है तो हमेशा से ही महिलाओं को इसके लिए जिम्मेदार बना दिया जाता है |कापर टी लगवानी हो या नसबंदी करानी हो इन कामों के लिए महिलाओं को आगे कर दिया जाता है | दरअसल अधिकतर पुरुष सोचते हैं कि नसबंदी कराने से उनकी ताकत कम हो जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है|डॉ सिंह ने बताया इस वित्तीय वर्ष में अभी तक तीन पुरुष नसबंदी हो पाई हैं, जबकि अप्रैल 22 से अब तक लगभग 500 महिला नसबंदी हो चुकी हैं |
सिविल अस्पताल लिंजीगंज के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और एनएसवी स्पेशलिस्ट डॉ मो.आरिफ़ सिद्दीकी का कहना है कि नसबंदी में शुक्राणु वाहिनी नलिकाओं को बाँध दिया जाता है जिससे शुक्राणु शरीर से बाहर नहीं जा पाते हैं| यह शरीर में ही घुलकर रह जाते हैं | इस प्रकार शरीर के स्वस्थ रहने में भी सहायक होते हैं | डॉ आरिफ़ का कहना है – नसबंदी कराये हुए व्यक्ति का स्वास्थ्य दूसरे व्यक्ति की तुलना में अधिक अच्छा होता है | नसबंदी के बाद संबंध बनाने में कोई परेशानी नहीं होती है |डॉ आरिफ का कहना है पुरुष नसबंदी पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है | नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है |अधिकतर पुरुष दो तीन दिन बाद काम पर जा सकते हैं | सामान्य शारीरिक गतिविधि जैसे भागना, वजन उठाना, साईकिल चलाना आदि काम एक सप्ताह रुक कर शुरू किये जा सकते हैं |
जिला परिवार नियोजन परामर्शदाता विनोद कुमार ने बताया कि मिशन परिवार विकास कार्यक्रम के तहत आने वाले जिलों में नसबंदी अपनाने वाले पुरुषों को प्रोत्साहन राशि के रुप में 3,000 रुपये और महिलाओं को 2,000 रूपये दिए जाते हैं । नसबंदी के लिए दंपति को अस्पताल लाने वाली आशा कार्यकर्ता को पुरुष नसबंदी पर 400 रुपये और महिला नसबंदी पर 300 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। पीपीआईयूसीडी लगवाने वाली महिला को 300 रूपए और सेवा प्रदाता को 150 रूपए की धनराशि दी जाती है | अंतरा इंजेक्शन अपनाने वाली महिलाओं को 100 रुपये की राशि दी जाती है। वहीं इन महिलाओं को लाने वाली आशा कार्यकर्ता को 100 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

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