बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने जीएसटी छापो की मार झेल रहे खुदरा व्यापारियो के पक्ष में एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक खुले पत्र में न सिर्फ खरी खरी सुनाई वरन स्पष्ट शब्दों में चेतावनी भी दी कि अगर भ्रष्ट नौकर शाही और छापामार राज से मुक्ति न मिली तो शुरू से ही भाजपा का कट्टर समर्थक रहा व्यापारी समुदाय बगावत का रास्ता अपनाते हुए अन्य राजनैतिक विकल्पों पर गम्भीरता से विचार करने को मजबूर होगा।
मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक पत्र में, जिसकी प्रति मीडिया को भी जारी की गई है, व्यापारी नेता ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के शासन द्वारा एक जीएसटी ही नहीं, चाहे फूड विभाग, मार्केटिंग विभाग, कांटा-बांट-माप विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग हो जनपदीय कार्यालय, तहसील का कोई कार्यालय हो या पुलिस का कार्यालय हो सभी स्थानों पर आकंठ भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों -बाबुओं की फौज उद्यमियों एवं व्यापारियों का आर्थिक-मानसिक शोषण पर अमादा दिखाई पड़ती हैं और योगी जी को प्रदेश में सुशासन का अहसास हो रहा है, किसी भी मंत्री, विधायक, सांसद तक की निरंकुश नौकरशाही नहीं सुन रही है सुन रही हैं तो केवल और केवल चांदी के सिक्कों की खनखनाहट को। उद्यमियों एवं व्यापारियों का नोट बंदी से लेकर जीएसटी लागू होने के दौरान चली ऊहापोह भरी प्रकिया, फिर अतिक्रमण की गाज़ ऊपर से अनलाइन मार्केटिंग, बड़े बड़े औद्योगिक घरानों द्वारा संचालित विशालकाय मालों की संपूर्ण प्रदेश में ही नहीं वरन् देश में श्रृंखलाओं में लगातार होती वृद्धि से खुदरा व्यापार लगभग चौपट हो चुका है। छोटे-छोटे व्यापारियों को अपने-परिवारों के भरण-पोषण तक करने में कठिनाई महसूस हो रही है जबकि लगभग दो वर्षो से वैश्विक महामारी कोरोना के कालखंड का दंश भी प्रदेश झेल चुका है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती रूप भारतीय जनसंघ के कालखंड से प्रबल समर्थक रहे व्यापारी समाज के उत्पीड़न में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है, दुर्भाग्यवश उद्यमियों और व्यापारियों के सम्मान और स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखने का तथा उनकी समस्याओं, उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज बुलंद करने वाले व्यापारी संगठनों के स्वयंभू नेतृत्वकर्ता एकजुट होकर एक मंच से सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के बजाय सत्ता की मलाई खाने के चक्कर में उल्टे सत्ताधारियों के तलवों को चाटते नजर आ रहें हैं, लेकिन यदि उत्पीड़नात्मक दमनकारी कानूनों का सहारा लेकर निरंकुश नौकरशाही लूट में संलिप्त रही तो उद्यमियों एवं व्यापारियों को भी कोई न कोई न कोई रास्ता ढूंढना ही पड़ेगा।