‘‘आरक्षण बढ़ाने वाला कानून रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को दी है चुनौती’’
नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल, याचिका में पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें बिहार सरकार की ओर से शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक नौकरियों में एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने के फैसले को खारिज कर दिया था। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने राजद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन की इस दलील पर संज्ञान लिया कि याचिका पर फैसला किए जाने की आवश्यकता है। वहीं, शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया और लंबित याचिकाओं के साथ इसे भी जोड़ दिया।
पटना हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक लगाने से किया था इनकार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को इसी तरह की 10 अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने 20 जून को बिहार सरकार की ओर से शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक नौकरियों में एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने के फैसले को खारिज कर दिया था।
जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट छापने वाला एकमात्र राज्य बिहार
याचिका में यह भी कहा गया था कि बिहार एकमात्र राज्य है जिसने यह अभ्यास किया और पूरी आबादी की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक स्थितियों पर अपनी जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की। राज्य ने कहा था कि उसने इस अदालत के बाध्यकारी निर्णयों का अनुपालन किया है और फिर आरक्षण अधिनियमों में संशोधन किया है।
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