नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर निशाना साधते हुए उन्हें सरकार का सबसे बड़ा प्रवक्ता बताया।
दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ’इंडिया’ गठबंधन की तरफ से आयोजित एक प्रेस वार्ता में खड़गे ने कहा, “राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण खुद सभापति जगदीप धनखड़ हैं।“ उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति देश में दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव लाया गया है। वह हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे होते हैं और हमेशा उन्हें नियमों के अनुसार सदन को चलाना होता है। लेकिन आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति चल रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जगदीप धनखड़ राज्यसभा के सभापति के तौर पर “हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग“ करते हैं। विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते। बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है। उनकी निष्ठा संविधान की बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है और संवैधानिक परंपरा के प्रति वह अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान सभापति जगदीप धनखड़ स्वयं हैं।“
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने आगे कहा कि उपराष्ट्रपति के व्यवहार ने देश की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें अविश्वास का नोटिस सदन में लाना पड़ा। हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए बहुत सोच-विचार करने के बाद यह कदम उठाया है।
राज्यसभा में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने 10 दिसंबर को सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है। इसके लिए ’इंडिया’ ब्लॉक के सांसदों ने राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को एक प्रस्ताव सौंपा है। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस का कहना है कि राज्यसभा के सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन किया जा रहा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 70 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि राज्यसभा में उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं दिया जा रहा है।