नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) यूपी में करीब एक-तिहाई से ज्यादा वक्फ संपत्तियां अवैध हैं। राजस्व विभाग की शुरुआती पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सार्वजनिक भूमि को वक्फ (दान) कर दिया गया, जो नियमानुसार हो ही नहीं सकता था। हाईकोर्ट के आदेश से पूरे प्रदेश में शासन यह जांच करवा रहा है। अभी तक करीब 50 जिलों की रिपोर्ट मिल चुकी है।
प्रदेश में वर्तमान में 1.10 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनका शासन स्तर से नोटिफिकेशन जारी हुआ है। रेवेन्यु रिकॉर्ड मैनुअल के अनुसार, श्रेणी 1 (क) की जमीन ही वक्फ या बेची जा सकती है। श्रेणी 1 (क) में निजी भूमि दर्ज होती है। कोई भूमि निजी है या नहीं, इसका मिलान 1 जुलाई 1952 के राजस्व रिकॉर्ड से किया जाता है। मैनुअल की श्रेणी (5) और (6) में दर्ज जमीन को वक्फ नहीं किया जा सकता।
आरक्षित श्रेणी की जमीनें चढ़ा दी गईं
इन श्रेणियों में बंजर, चरागाह, वन भूमि, तालाब, ऊसर भूमि और ग्राम सभा की सार्वजनिक उपयोग वाली जमीनें आती हैं। ये जमीनें आरक्षित श्रेणी की होती हैं, जिनका प्रबंधन के लिहाज से मालिकाना हक सरकार, ग्राम सभा या अन्य निकायों में निहित होता है।
विभिन्न जिलों के प्रशासन की अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 30 हजार संपत्तियां मूलरूप से श्रेणी (5) और (6) में दर्ज हैं। यानी, ये संपत्तियां निजी थी ही नहीं, इसलिए इन्हें वक्फ नहीं किया जा सकता था। सूत्र बताते हैं कि जो कब्रिस्तान ग्राम सभा की भूमि पर हैं, उन्हें भी वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज करवा लिया गया है। नियमतः ये ग्राम सभा कब्रिस्तान के रूप में दर्ज होने चाहिए।
गलत ढंग से रिकॉर्ड में चढ़ाई गईं संपत्तियां
यहां तक कि तमाम स्थानों पर मरघट (श्मशान भूमि) भी वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज हैं, जिसका मुस्लिम धर्म में प्रावधान ही नहीं है। सभी 75 जिलों की रिपोर्ट आने पर गलत ढंग से रिकॉर्ड में चढ़ाई गईं वक्फ संपत्तियों की संख्या 40 हजार से ऊपर जाने की संभावना है। हाईकोर्ट के निर्देशानुसार, शासन स्तर पर इनका परीक्षण करवाकर राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त कराया जाएगा।
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