हम बेवकूफ इसलिए बनाए जा रहे है, क्योंकि हम बेवकूफ है। हमारे हक इसलिए छीने जाते है ,क्योंकि हम दूसरो को छीनने की कोशिश करते है। हमारे साथ भ्रष्टाचार इसलिए होता है क्योंकि हम स्वयं बेईमान है। हमे अपने अंदर सुधार की जरूरत है, लोग खुद सुधर जाएंगे। महात्मा गांधी ने कहा था- “खुद में वो बदलाव लाइए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”
-सत्यवान ‘सौरभ’
देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9वीं बार तिरंगा फहराया। इस मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों के सामने उम्मीदों और संकल्पों के साथ-साथ अपनी चिंताओं को भी साझा किया। पीएम ने अपने भाषण में देश में फैले भ्रष्टाचार के बारे जिक्र किया। पीएम ने करप्शन को देश के लिए खतरनाक बताते हुए इसे खत्म करने के लिए युवा पीढ़ी से आगे आने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि भाई-भतीजावाद, परिवारवाद (वंशवाद और परिवार पर फोकस) सिर्फ राजनीति तक ही सीमित नहीं है। क्या भ्रष्टाचार से आजादी ही देश के लिए असल आजादी होगी।
भ्रष्टाचार प्रतिरोध का मार्ग है। कई मायनों में, भ्रष्टाचार वह तरीका है जिससे समाज में कम कुशल अधिक कुशल की कीमत पर आगे बढ़ते हैं। 2005 में एक ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल अध्ययन ने संकेत दिया कि 62% भारतीयों ने किसी न किसी समय नौकरी पाने के लिए रिश्वत दी थी। भ्रष्ट आय क्या है और ईमानदार आय क्या है, इसका आकलन भी एक वैकल्पिक दर्पण अर्थव्यवस्था को सामने ला सकता है। और यह निश्चित रूप से देखने के लिए एक डरावना सच है। भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है जो आज देश के सामने है। बहुत आश्चर्य की बात नहीं है, यह एक बड़ा आंतरिक खतरा है। भ्रष्टाचार के दो पहलू होते हैं। देने वाले का पहलू और लेने वाला का पहलू। प्रत्येक निश्चित रूप से समान रूप से दोषी है। वास्तव में अधिक देने वाले और कम लेने वाले हैं। अगर देने वाले बंद कर दे तो भ्रष्टाचार का यह पूरा उद्योग ठप हो जाएगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जन और राष्ट्रीय कार्रवाई का नेतृत्व अन्ना हजारे ने किया था। लेकिन इससे जो निकला वह लोकपाल के रूप में बिना किसी वास्तविक शक्ति के एक नम्र अधिनियम। भारत में सरकारी प्रणाली कम वेतन वाली है। मगर उनकी विवेकाधीन शक्तियाँ निम्नतम स्तर पर भी भ्रष्टाचार की ओर ले जाती हैं। ई-गवर्नेंस को अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लानी चाहिए और भ्रष्टाचार को रोकना चाहिए। यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी से कार्रवाई की जाती तो राष्ट्र निश्चित रूप से एक से अधिक तरीकों से लाभान्वित होगा। राष्ट्र और कई संस्थान जो लोगों की भलाई की देखभाल करते हैं, उन्हें अत्यधिक लाभ होगा। आजादी के इन सभी 75 वर्षों के बाद, भ्रष्टाचार की बिल्ली को घंटी बजाने का समय आ गया है। हमें इसकी जड़ पर प्रहार करने की जरूरत है। इसकी जड़ लेने वाले की तुलना में अधिक देने वालों में निहित है।
भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र के लिए नागरिकों में अच्छे नैतिक मूल्यों की आवश्यकता होती है। आज के बच्चे कल के नागरिक हैं और एक बच्चे में उसके प्रारंभिक वर्षों के दौरान आत्मसात किए गए मूल्य राष्ट्र की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस संबंध में पिता, माता और शिक्षक सही मूल्यों को विकसित करके प्रभावशाली दिमाग को आकार देने में महत्वपूर्ण हैं। साथी जीवों के प्रति ईमानदारी, सहानुभूति, सच्चाई, करुणा का भाव पैदा करना केवल माता-पिता द्वारा ही प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। इन सभी के लिए आवश्यक है कि माता-पिता भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करें और बच्चे की भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करें। समय का एक बड़ा हिस्सा बच्चे द्वारा अपने माता-पिता को देखकर व्यतीत किया जाता है। इसलिए माता-पिता को न केवल उपदेश देना चाहिए बल्कि उपरोक्त मूल्यों का प्रयोग करके उदाहरण पेश करना चाहिए।
जब वे नैतिक आधारित कहानियाँ सुनाते हैं तो माता-पिता भी बच्चों के रचनात्मक दिमाग का निर्माण करते हैं। बच्चों को अच्छे साहित्य और फिल्मों से रूबरू कराने का काम माता-पिता भी कर सकते हैं। हरिश्चंद्र की कहानियों की तरह जो “ईमानदारी” को चित्रित करती है। पिता हमेशा बच्चे के लिए पहला रोल मॉडल होता है। बच्चे अपने पिता का अनुसरण करके सीखते हैं। यह समय के साथ उनके दिमाग में समा जाता है और उनके अपने चरित्र का हिस्सा बन जाता है। माँ को अक्सर बच्चे के लिए पहली शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है। वह उसे भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सहानुभूति, करुणा सिखाती है। यह अक्सर मां ही होती है जो सही और गलत …