लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) यूपी में होने वाले राज्यसभा के चुनाव में 10 सीटों में से 7 सीटें भारतीय जनता पार्टी की जीतना तय हैं तो वहीं दूसरी तरफ दो सीटें समाजवादी पार्टी की भी जीतनी तय है। वहीं आखिरी 10वीं सीट पर दोनों पार्टियां मुकाबला करती हुई दिखाई दे सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी की तरफ से जिन दो प्रत्याशियों का नाम फाइनल माना जा रहा है, उसमें मौजूदा राज्यसभा सदस्य जया बच्चन और साप मुखिया अखिलेश यादव के बेहद करीबी व सेवानिवृत आईएएस अफसर, पूर्व चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन का नाम सबसे आगे है।
जया बच्चन सुप्रसिद्ध अभिनेत्री और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की पत्नी है। मौजूदा समय में भी समाजवादी पार्टी की तरफ से वे राज्यसभा की सदस्य हैं। जया बच्चन पहली बार 2004 में राज्यसभा गई थीं, वह पहली बार 2004 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य रहीं। इसके बाद वह 2006 में राज्यसभा गईं और साल 2012 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। उसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें 2012 और 2018 में भी राज्यसभा भेजा। जया बच्चन अभी तक कुल चार बार राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं और अब उम्मीद है की पांचवीं बार फिर से समाजवादी पार्टी जया बच्चन को राज्यसभा भेज सकती है।
दूसरा नाम आलोक रंजन का है जिनको राज्यसभा भेजने की चर्चा समाजवादी पार्टी की तरफ से चल रही है। आलोक रंजन उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में 2014 से 2016 के बीच में अखिलेश सरकार ने अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उसके बाद वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मुख्य एडवाइजर के रूप में भी 2016 से 2017 तक कार्य कर चुके हैं। इसके बाद 2017 में अखिलेश यादव की सरकार जाने के बाद आलोक रंजन अखिलेश यादव के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं और 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी का मेनिफेस्टो बनाने में आलोक रंजन की काफी अहम भूमिका रही है। समाजवादी पार्टी द्वारा पुरानी पेंशन स्कीम के मुद्दे को उठाने वालों में भी आलोक रंजन का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
वहीं मौजूदा समय में होने वाले राज्यसभा को चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के पास अपना कुल 108 वोट है। वहीं ‘इंडिया’गठबंधन के कांग्रेस का दो वोट हैं, जिसको मिलाकर कुल 110 वोट होता है। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत है, जिस लिहाज से अगर सपा तीन प्रत्याशी उतारती है तो उसे 111 वोट की जरूरत होगी। राष्ट्रीय लोक दल के सपा में रहते सपा आसानी से तीन सीटें जीत लेती है लेकिन अब इसमें पेंच है। बीजेपी के साथ राष्ट्रीय लोकदल के जाने के बाद वरीयता के आधार पर होने वाले चुनाव में लड़ाई दसवीं सीट के लिए फंस सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा राष्ट्रीय लोकदल के खाते से भी एक प्रत्याशी उतरवा सकती है।
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