बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज। (आवाज न्यूज ब्यूरो) कन्नौज लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव ने अपने भतीजे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है। इससे पहले अखिलेश की कन्नौज से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन सोमवार को सपा ने तेज प्रताप का नाम घोषित करके सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है।
इससे पहले तेज प्रताप यादव 2014 से 2019 तक मैनपुरी से सांसद रहे है। इस सीट पर साल 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने सीट छोड़ दी और पौत्र तेजप्रताप को उपचुनाव लड़वा दिया था। ये उपचुनाव जीतकर तेज प्रताप सांसद बने थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 12353 मतों के अंतर से हराकर चुनाव जीता था। भाजपा ने फिर से सुब्रत पाठक को ही मैदान में उतारा है। इससे पहले अखिलेश यादव के परिवार से चार उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया जा चुका है।
जिसमें यादव परिवार से उम्मीदवार के तौर पर मैनपुरी में डिंपल यादव, आजगढ़ में धर्मेंद्र यादव, बदायूं में आदित्य यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव का नाम शामिल है। अब पांचवां नाम तेज प्रताप यादव का भी शामिल हो गया है।
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही सपा का गढ़ मानी जाने वाली सीट कन्नौज पर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं। 16 मार्च को इलेक्शन की घोषणा के बाद लगातार अखिलेश कन्नौज का दौरा करते रहे है। 40 दिन में करीब 5 बार वो कन्नौज । ऐसा माना जा रहा था कि अखिलेश कन्नौज से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन अब तेज प्रताप यादव कन्नौज से सपा प्रत्याशी हैं।
देर से घोषणा रणनीति का हिस्सा
वहीं इस सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने में देरी की वजह बदायूं सीट को भी माना जा रहा है। पहले बदायूं सीट से धर्मेंद्र यादव मैदान में उतारे गए। इसके बाद उनका नाम बदलकर शिवपाल यादव को टिकट दी गई। शिवपाल यहां से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे वो अपने बेटे आदित्य को टिकट दिलाना चाहते थे। 20-25 दिन तक मंथन चला और बाद में आदित्य यादव को टिकट दिया गया। बदायूं का फैसला होने के बाद कन्नौज पर निर्णय लिया गया।
कन्नौज सीट पर सैफई परिवार के मुलायम सिंह यादव ने साल 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता था। साथ ही उन्होंने संभल से भी चुनाव लड़ा था, वहां भी उन्हें जीत मिली थी। जिसके बाद उन्होंने कन्नौज की सीट छोड़ दी थी।
साल 2000 में ही कन्नौज में हुए लोकसभा उपचुनाव में मुलायम सिंह ने अपने बेटे अखिलेश यादव को पहली बार चुनाव मैदान में उतारा था। उपचुनाव में अखिलेश यादव ने जीत हासिल की। फिर साल 2004 और साल 2009 में कन्नौज सीट से फिर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते।
मोदी लहर में भी कन्नौज सपा ही जीती
साल 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। तब उन्होंने कन्नौज से अपनी पत्नी डिंपल यादव को उपचुनाव लड़ा दिया। जिसमें उन्होंने निर्विरोध चुनाव जीत लिया था। साल 2014 में मोदी लहर में भी डिम्पल यादव कन्नौज से सांसद चुनी गई। हालांकि तब भाजपा प्रत्याशी सब्रत पाठक से उन्हें कड़ी टक्कर मिली थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में डिम्पल यादव कन्नौज से लोकसभा का चुनाव हार गईं थीं। उन्हें भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने कड़ी टक्कर दी थी। यानी 25 सालों में 20 सालों से कन्नौज सीट पर सपा का ही कब्जा है।
विदेश में पढ़कर आये, मैनपुरी से शुरू की राजनीति
तेज प्रताप यादव का जन्म 21 नवंबर 1987 को हुआ था। वह मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह के पोते हैं। तेज प्रताप के पिता रणवीर सिंह यादव का 36 साल की उम्र में ही निधन हो गया था। वे ब्लॉक प्रमुख थे। तेज प्रताप यादव की मां मृदुला यादव भी सैफई से ब्लॉक प्रमुख रही चुकी हैं। रणवीर सिंह यादव और अखिलेश यादव चचेरे भाई हैं। इस लिहाज से तेज प्रताप यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे हुए।
उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे तेज प्रताप यादव
तेज प्रताप यादव मैनपुरी के सांसद उस समय बने जिस समय मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों जगह से चुनाव लड़ा था। जिसके बाद उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी। तब मैनपुरी में उपचुनाव हुआ था। जिसमें तेज प्रताप यादव चुनाव लड़े थे। जहां वो साल 2014 से लेकर साल 2019 तक मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद रहे थे।
तेज प्रताप यादव ने कर्नल ब्राउन कैंब्रिज स्कूल देहरादून और दिल्ली पब्लिक स्कूल नोएडा से पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने लीड्स यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री हासिल की है। उनकी ननिहाल फिरोजाबाद के सिरसागंज क्षेत्र में आती है। उनकी शादी साल 2015 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की छोटी बेटी राजलक्ष्मी के साथ हुई है।
नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठना उचित समझा
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट से खुद चुनाव न लड़कर तेज प्रताप के नाम की घोषणा कर सबको चौंका दिया है। माना जा रहा है कि यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर सपा मुखिया पशोपेश में थे।
जिस पर उनके चाचा शिवपाल यादव की भी नजर थी। ऐसे में काफी सोच समझ कर अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को सपा की परंपरागत सीट कन्नौज से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
इससे पहले अखिलेश यादव 4 या 5 बार कन्नौज का दौरा कर चुके हैं। बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करके यहां की नब्ज टटोलने का भी काम किया हालांकि कन्नौज में सपा नेताओं में गुटबाजी और कलह चल रही है। जिसके चलते उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ने की बजाय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठना उचित समझा। ताकि साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वह पार्टी को मजबूत करने पर फोकस कर सकें।”