नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र गुजरात समाचार के सह-मालिक बाहुबली शाह को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया। 73 वर्षीय शाह जो लोक प्रकाशन लिमिटेड के निदेशक हैं। उन्हें कुछ ही घंटों बाद स्वास्थ्य कारणों से अंतरिम जमानत मिल गई। लोक प्रकाशन लिमिटेड गुजरात समाचार और इसके सहयोगी टेलीविजन चैनल जीएसटीवी का संचालन करता है। इस गिरफ्तारी ने न केवल सोशल मीडिया पर तीव्र चर्चा को जन्म दिया बल्कि यह मामला राजनीतिक गलियारों में भी गूंज उठा। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया और इसे प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने की साजिश करार दिया।
प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार की सुबह अहमदाबाद में बाहुबली शाह और उनके परिवार से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। इन छापों में गुजरात समाचार के खानपुर स्थित मुख्य कार्यालय, जीएसटीवी के कार्यालय और शाह परिवार के आवास शामिल थे। छापेमारी के बाद, ईडी ने बाहुबली शाह को मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने मामले में गिरफ्तार किया जिसकी जांच 2023 से चल रही थी। सूत्रों के अनुसार यह मामला सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा 2006 और 2016 में शुरू की गई जांच से संबंधित है जिसमें लोक प्रकाशन और इसके मालिकों पर शेयर बाजार में हेरफेर और अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। वहीं गिरफ्तारी के कुछ समय बाद शाह की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें पहले अहमदाबाद के वी.एस. अस्पताल में ले जाया गया लेकिन परिवार के आग्रह पर उन्हें निजी जायडस अस्पताल में भर्ती कराया गया। जायडस अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि शाह को गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया था। उनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अहमदाबाद की विशेष पीएमएलए अदालत ने शनिवार दोपहर को शाह को स्वास्थ्य और मानवीय आधार पर अंतरिम जमानत दे दी। नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई 31 मई को निर्धारित की गई है। हालांकि ईडी ने अभी तक इस गिरफ्तारी के कारणों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। एक वरिष्ठ ईडी अधिकारी ने अनौपचारिक रूप से बताया कि मामला लोक प्रकाशन और शाह परिवार से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है जिसमें कथित तौर पर निजी फर्म अजब गजब इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से धन शोधन और अवैध फंडिंग शामिल है। आपको बता दें कि गुजरात समाचार गुजरात का सबसे पुराना और सबसे व्यापक रूप से पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र है जिसकी स्थापना 1932 में हुई थी। यह अखबार लोक प्रकाशन लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया जाता है जिसके संस्थापकों में स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल और मोरारजी देसाई जैसे दिग्गज शामिल थे। 1950 के दशक में जब अखबार भारी नुकसान में था। इसे शांतिलाल शाह ने अधिग्रहण किया। आज शांतिलाल के बेटे, बाहुबली शाह और श्रेयांश शाह, इसकी कमान संभालते हैं। बाहुबली शाह अखबार और जीएसटीवी चैनल के संचालन की देखरेख करते हैं जबकि 85 वर्षीय श्रेयांश शाह इसके प्रबंध संपादक हैं। लोक प्रकाशन 1940 में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल हुआ था अब एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य है जिसकी अनुमानित कीमत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक है। गुजरात समाचार गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में वितरित होता है और 2014 के भारतीय रीडरशिप सर्वे के अनुसार इसकी औसत दैनिक पाठक संख्या 46 लाख है। अपनी सत्ता-विरोधी संपादकीय नीति के लिए जाना जाने वाला यह अखबार गुजरात के अधिकांश घरों में एक जाना-पहचाना नाम है। बाहुबली शाह की गिरफ्तारी ने गुजरात और राष्ट्रीय स्तर पर एक राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और आप, ने इस कार्रवाई को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना को “लोकतंत्र की आवाज को दबाने की साजिश” बताया और उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि जब सत्ता को आईना दिखाने वाले अखबारों पर ताले लगाए जाते हैं तब समझ लीजिए लोकतंत्र खतरे में है। बाहुबली शाह की गिरफ्तारी डर की उसी राजनीति का हिस्सा है जो अब मोदी सरकार की पहचान बन चुकी है। देश न डंडे से चलेगा, न डर से, भारत चलेगा सच और संविधान से।
कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने भी इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि गुजरात समाचार मोदी-नीत बीजेपी शासन की निडर आलोचना के लिए जाना जाता है। बाहुबली शाह की गिरफ्तारी स्वतंत्र मीडिया को सरकार की लाइन में लाने का बीजेपी का तरीका है वहीं आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस गिरफ्तारी को “बीजेपी की हताशा का संकेत” बताया। और उन्होंने कहा कि पिछले 48 घंटों में गुजरात समाचार और जीएसटीवी पर आयकर विभाग और ईडी की छापेमारी और फिर उनके मालिक बाहुबली भाई शाह की गिरफ्तारी यह सब संयोग नहीं है। यह बीजेपी की उस हताशा का संकेत है। जो हर उस आवाज को चुप करना चाहती है जो सच बोलती है और सवाल पूछती है। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने इस कार्रवाई को सच बोलने की सजा करार दिया और उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि मोदी सरकार में सच लिखने और बोलने की बेहद कड़ी सजा दी जाती है। गुजरात समाचार ने हमेशा सत्ता के खिलाफ खड़े होकर सवाल उठाए हैं। हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान इसने बीजेपी सरकार और पीएम मोदी को आईना दिखाया जिसके चलते सरकार ने अपनी पसंदीदा टूलकिट, ईडी और आयकर विभाग को इसके खिलाफ उतार दिया। वहीं गुजरात के वडगाम से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी इस कार्रवाई को “बदले की कार्रवाई” बताया और कहा कि गुजरात समाचार पिछले 25 वर्षों से मोदी और शाह की नीतियों की आलोचना करता रहा है। आपको बता दें कि बाहुबली शाह की गिरफ्तारी ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर फिर से सवाल उठाए हैं। गुजरात समाचार अपनी सत्ता-विरोधी पत्रकारिता के लिए जाना जाता है। इसने न केवल बीजेपी सरकार की नीतियों की आलोचना की है बल्कि 1980 के दशक में कांग्रेस सरकार के खिलाफ भी निडरता से लिखा था। आपातकाल के दौरान इसका कार्यालय जलाए जाने के बावजूद इसने सच्चाई की पत्रकारिता को जारी रखा। हाल के वर्षों में गुजरात समाचार ने गुजरात मॉडल और भारत-पाकिस्तान तनाव जैसे मुद्दों पर सरकार की नीतियों की गहन जांच की है। इसकी आलोचनात्मक टिप्पणियों के बाद इसका आधिकारिक एक्स अकाउंट हाल ही में भारत में ब्लॉक कर दिया गया था जिसके कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है।
